शिक्षक दंपती के बाद पीईईओ और टीचर हुए सस्पेंड: डमी कर्मचारियों के काम करने की नहीं दी जानकारी

 

राजस्थान: टीचर दंपती के स्थान पर डमी टीचरों की ओर से शिक्षण कार्य कराए जाने के मामले में अब शिक्षक दंपती के बाद पीईईओ और इसी स्कूल में नियुक्त एक महिला टीचर को भी शनिवार को निलंबित कर दिया गया है। शनिवार को पुलिस ने स्कूल पहुंचकर पिछले 7 साल के हाजिरी रजिस्टर अपने कब्जे में लिए हैं। मामला बारां जिले के राजकीय प्राथमिक स्कूल राजपुरा का है।

डीईओ पीयूष कुमार शर्मा ने बताया- राजकीय प्राथमिक स्कूल राजपुरा में टीचर दंपती विष्णु गर्ग और मंजू गर्ग की ओर से स्कूल में नियमित उपस्थित नहीं होकर डमी 3 टीचरों को लगाने के मामले में लापरवाही बरते जाने पर शिक्षा निदेशालय ने पीईईओ राउमावि सुंदलक प्रिंसिपल कौशलेश सोनी के खिलाफ भी जांच शुरू करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया है।

 

 

 

साथ ही स्कूल में डमी कर्मचारियों की सूचना विभाग को नहीं देने पर स्कूल में पदस्थ टीचर मौसमी मीणा को भी निलंबित किया है। निलंबन के दौरान दोनों का मुख्यालय बीकानेर ही रहेगा। डीईओ शर्मा ने बताया- स्कूल में व्यवस्था के लिए एक टीचर को नियुक्त किया है। बाकि स्टाफ भी जल्द लगाया जाएगा। सदर थाने के थानाधिकारी रामविलास मीणा ने बताया- पुलिस की ओर से रिमांड अवधि के दौरान आरोपी टीचर विष्णु भारद्वाज से पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने शनिवार को स्कूल पहुंचकर ग्रामीणों के बयान भी लिए हैं।

साथ ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और पोषाहार बनाने वाले कर्मचारियों सहित अन्य लोगों से भी जानकारी जुटाई है। इसके अलावा स्कूल से बीते 7 साल के स्टाफ के हाजिरी रजिस्टर को भी जब्त किए हैं। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि टीचर दंपती के स्थान पर विष्णु भारद्वाज ही स्कूल का कामकाज संभाल रहा था। उसी ने अन्य कर्मचारी लगाए हैं। जांच में यह भी सामने आ रहा है कि विष्णु भारद्वाज से पहले कई साल तक गांव का ही एक अन्य युवक डमी कर्मचारी के रूप में काम संभालता था। इसको लेकर भी पुलिस जांच कर रही है।

 

 

 

 

सदर थाने के थानाधिकारी रामविलास मीणा ने बताया- आरोपी विष्णु गर्ग 1996 से और उसकी पत्नी 1999 से यहां पदस्थापित हैं। दोनों करीब 24 साल से एक ही जगह पोस्टिंग लेकर बैठे हैं और हर महीने करीब डेढ़ लाख रुपए वेतन उठा रहे हैं, जबकि पति-पत्नी दोनों ने स्कूल नहीं जाकर 15 हजार रुपए में 3 डमी टीचर रखे थे।

प्रिंसिपल गर्ग बारां में प्रॉपर्टी और ट्रांसपोर्ट का कारोबार चलाता है। स्कूल के बच्चों का तो यह तक कहना है कि गर्ग दंपती कभी-कभार स्कूल आते तो वे उन्हें अतिथि ही समझते थे। खास बात तो यह है कि कलेक्ट्रेट में संचालित प्रारंभिक शिक्षा विभाग कार्यालय से करीब 10 किमी दूर ही यह खेल चलता रहा, लेकिन मामले में कभी कार्रवाई तो दूर जांच तक नहीं हुई। अब मामला खुलने पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मॉनिटरिंग पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं।

 

 

 

प्रिंसिपल विष्णु गर्ग बारां में प्रॉपर्टी और ट्रांसपोर्ट का कारोबारी है। वह अपने व्यवसाय में ही व्यस्त रहता है। उसकी पत्नी टीचर मंजू गर्ग भी शहर में आयोजित सामाजिक कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भागीदारी निभाती रहती है। दोनों बारां में ही रहते हैं। राजपुरा स्कूल में पदस्थ विष्णु गर्ग 8 दिसंबर और मंजू गर्ग 7 दिसंबर से 23 दिसंबर तक मेडिकल अवकाश पर हैं, हालांकि इस मामले में 21 दिसंबर को पुलिस कार्रवाई के बाद से दोनों ही घर पर नहीं है। सुंदलक पीईईओ कौशलेश सोनी ने बताया कि अन्य अवकाश सहित विभागीय रिपोर्टिंग ऑनलाइन ही होती है।

थानाधिकारी रामविलास मीणा ने बताया- प्रारंभिक जांच और आरोपी डमी टीचर विष्णु भारद्वाज करीब 4-5 साल से स्कूल का पूरा काम संभालता था। इससे पहले भी गांव का महावीर नाम का व्यक्ति काम संभालता था। इसको लेकर भी पुलिस जांच कर रही है। सदर थानाधिकारी रामविलास मीणा ने बताया- एक को लाभ और दूसरे को हानि पहुंचाने, बच्चों की पढ़ाई के साथ खिलवाड़ सहित अन्य अनियमितताओं को लेकर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। पुलिस की ओर से दस्तावेजों की जांच की जाएगी। साथ ही तकनीकी रूप से भी साक्ष्य जुटाए जाएंगे। मामले में अधिकारियों की भूमिका की जांच भी की जाएगी। पिछले 10 साल का रिकॉर्ड मांगा है। स्कूल में कब-कब किसने निरीक्षण किया है। इसको लेकर भी जांच की जाएगी।

 

 

 

स्कूल में वर्तमान में 66 बच्चों का नामांकन है। यहां अधिकांश समय बच्चों को दो कक्षाओं में या फिर स्कूल परिसर में बने मैदान में बैठाकर पढ़ाया जाता है। एक ग्रुप में कक्षा पहली से तीसरी तक के स्टूडेंट्स को और दूसरे ग्रुप में चौथी और पांचवी तक के स्टूडेंट्स को पढ़ाया जा रहा है। यहां पदस्थ एक अन्य सरकारी टीचर और 3 डमी महिला टीचर ही बच्चों को पढ़ाती थी। स्कूल में ड्यूटी भी डमी टीचर भारद्वाज ही तय करता था। पोषाहार सहित अन्य कार्य भी भारद्वाज ही संभालता था।

पुलिस की कार्रवाई के दौरान राजपुरा स्कूल में डमी टीचर के रूप में कार्य करते मिली दोनों महिलाएं राजपुरा गांव की ही हैं। इनमें से एक महिला के परिजनों ने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया, वहीं दूसरी युवती से बात करने पर बताया कि वह सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रही हैं। पिता खेती करते हैं। पारिवारिक स्थिति के कारण उसने इसी सत्र से पढ़ाई के साथ राजपुरा स्कूल में पढ़ाने के लिए 4 हजार रुपए प्रतिमाह पर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था। उसका कहना है कि उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि किसी व्यक्ति ने उन्हें बिना किसी नियमों के यहां लगाया है, जबकि मुझे तो यही पता था कि बच्चों को पढ़ाना अपराध कैसे हो सकता है।

 

 

 

कार्यवाहक सीडीईओ अरुणा कुमार का कहना है- मुझे 18 सितंबर को ही सीडीईओ का चार्ज मिला है। इस दौरान राजपुरा स्कूल में डमी टीचर के कार्यरत होने जैसी कोई शिकायत किसी अधिकारी-कर्मचारी, ग्रामीण या अभिभावक से नहीं मिली। मैं राजपुरा स्कूल का निरीक्षण नहीं कर सकी।

सीबीईओ गणपत लाल वर्मा का कहना है कि राजपुरा स्कूल में इस तरह की कोई शिकायत पहले नहीं मिली थी। कुछ दिन पहले ही स्कूल का निरीक्षण करने गया था। तब टीचर विष्णु गर्ग पीईईओ की अनुमति से विभागीय कार्य के लिए गए हुए थे। टीचर मंजू गर्ग हाफ-डे अवकाश पर गई थी। दोनों के सेवाकाल को लेकर जानकारी संबंधित स्कूल और पीईईओ से ही मिल सकेगी।

 

 

 

 

 

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